संकलनात्मक मूल्यांकन (Summative Evaluation) का अर्थ, विशेषता व उपयोगिता

संकलनात्मक मूल्यांकन (Summative Evaluation) का अर्थ, विशेषता व उपयोगिता

संकलनात्मक मूल्यांकन (Summative Evaluation ) का अर्थ है  इस मूल्यांकन को योगदेय मूल्यांकन भी कहा जाता है। इसमें पाठ्य-वस्तु की सभी इकाई के शिक्षण -अन्त में जब विद्यार्थी सभी इकाइयों को अलग-अलग रूप में देय परीक्षणों (Formative Tests) को उत्तीर्ण कर लेते हैं तब अन्त में संकलनात्मक मूल्यांकन किया जाता है, जिससे विद्यार्थियों को सामान्य स्तर का बोध होता है और विद्यार्थियों की सफलता के आधार पर शिक्षण व अनुदेशन की प्रभावशीलता का मूल्यांकन होता है, जिससे अध्यापक एवं अनुदेशन को पुनर्बलन मिलता है।

संकलनात्मक मूल्यांकन (Summative Evaluation) का अर्थ, विशेषता व उपयोगिता

अध्यापक को आगे के शिक्षण के नियोजन तथा व्यवस्था में भी सहायता मिलती है। विद्यार्थियों की सफलता के आधार पर उद्देश्यों की प्राप्ति का भी निर्णय लिया जाता है। ये दोनों प्रकार के परीक्षण शिक्षण-अधिगम की दृष्टि से एक- दूसरे के पूरक हैं। संकलनात्मक परीक्षण में विद्यार्थियों की अधिगम कठिनाइयों को महत्त्व दिया जाता है और इस परीक्षण से शिक्षण की प्रभावशीलता का मापन होता है । अधिगम उद्देश्य के मूल्यांकन की दृष्टि से वस्तुनिष्ठ तथा निबन्धात्मक परीक्षाएँ एक- दूसरे की पूरक होते हैं । उद्देश्यों द्वारा व्यवस्था प्रक्रिया को शिक्षण की व्यवस्था में प्रयुक्त करने से परीक्षाओं को विशिष्ट एवं सार्थक बनाया जा सकता है। परीक्षाओं के प्रदत्तों के आधार पर शिक्षण व्यवस्था (organising teaching) तथा शिक्षण को आगे बढ़ने (leading teaching) में सुधार एवं परिवर्तन लाया जा सकता है। इसके लिए प्रो. ब्लूम, थॉमस एवं जार्ज (Bloom, Thomas and George) ने अपनी पुस्तक ‘Hand-book of formative and summative evaluation of student learning’ में लिखा है, “संकलनात्मक मूल्यांकन एक प्रकार का मूल्यांकन है, जिसका प्रयोग निश्चित कालावधि, कोर्स या कार्यक्रम के पश्चात् ग्रेडिंग, प्रमाणीकरण, प्रगति में मूल्यांकन या पाठ्यक्रम अध्ययन – कोर्स अथवा शैक्षिक योजना की प्रभावशीलता के शोध के लिए किया जाता है । ” मोटे तौर पर संकलनात्मक मूल्यांकन तभी काम में लाया जाता है जब विद्यार्थियों की उपलब्धियों (ज्ञान कौशल आदि के अर्जन के रूप में) के बारे में अन्तिम परीक्षा (Final test) लेना हो ताकि उन्हें एक कक्षा से दूसरी कक्षा में चढ़ाया जा सके। संकलनात्मक मूल्यांकन का सम्बन्ध निर्माणात्मक मूल्यांकन से इस रूप में हो सकता है कि निर्माणात्मक मूल्यांकन तो बच्चों के अधिगम पथ तथा अध्यापकों के शिक्षण पथ का बराबर निर्माण करता रहता है ताकि निश्चित शिक्षण-अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके। यह प्राप्ति किस सीमा तक हुई हैं। इसका अंतिम (summative) मूल्यांकन करना संकलनात्मक मूल्यांकन का कार्य होता है। वर्तमान स्थिति में इसी प्रकार के मूल्यांकन के परिणामों का विशेष बोलबाला रहता है, क्योंकि इसके परिणाम अंकों के रूप में बच्चों की
अंक तालिका में लिखे जाते हैं और इसके फलस्वरूप उन्हें सर्टीफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री तथा मेरिट पारितोषिक आदि मिलते हैं तथा उन्हें एक श्रेणी से दूसरी श्रेणी या एक कोर्स से दूसरे कोर्स में जाने का अवसर मिलता है। इस विधि द्वारा भावी शिक्षण के बेहतर गठन एवं आयोजन में सहायता प्राप्त होती है ।

संकलनात्मक मूल्यांकन की विशेषताएँ (Features of summative evaluation)-

(1) कोर्स के अन्त में (At the end of the house ) –

संकलनात्मक मूल्यांकन एक निश्चित कालावधि, कोर्स, कार्यक्रम तथा सेमैस्टर के अन्त में होता है !

(2) अन्तिम एवं निर्णयात्मक (Terminal and Judgment in character) –

यह अन्तिम एवं निर्णयात्मक होता है।

(3) अनुदेशन लक्ष्य (Instructional objectives) –

इसका गठन इस बात को निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि विद्यार्थियों ने कहाँ तक अनुदेशन के लक्ष्य प्राप्त किए हैं। इस मूल्यांकन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं—

(i) प्रगति का मूल्यांकन (Evaluation of Progress)
(ii) शिक्षक की प्रभावशीलता की जाँच करना (Judging the effectiveness of the teacher)
(iii) पाठ्यक्रम, अध्ययन कोर्स अथवा शैक्षिक योजना की प्रभावशीलता की जाँच करना (Judging the effectiveness of the curriculum, course of study or educational plan)
(iv) विद्यार्थियों का ग्रेड निर्धारित करना और उन्हें प्रमाणित करना ( Grading and certifying students) |

ब्लूम व उनके साथियों का कहना था कि, “सम्भवतः संकलनात्मक मूल्यांकन की अनिवार्य विशेषता अधिगम अथवा अनुदेशन के पश्चात् उसकी विद्यार्थी – अध्यापक अथवा पाठ्यक्रम के सन्दर्भ में प्रभावशीलता की जाँच करना है । ”

(4) निर्धारित कोर्स मूल्यांकन का आधार (Course covered on the basis ) –

विशेष अवस्था अथवा सेमैस्टर के लिए निर्धारित किया गया कोर्स संकलित मूल्यांकन का आधार बनता है ।

प्रो. ब्लूम और उनके साथियों (Prof. Bloom and his Associates) के अनुसार, “संकलनात्मक मूल्यांकन आरम्भ करने से पहले कम-से-कम उन कुछ कौशलों अथवा अवधारणाओं का सम्मिलित रूप प्रस्तुत करना चाहिए जो कि व्यापक योग्यता का आधार बन सकें।”

 

संकलनात्मक मूल्यांकन की उपयोगिताएँ (Uses of Summative Evaluation) –

ब्लूम तथा उनके साथियों ने संकलनात्मक मूल्यांकन की निम्नलिखित उपयोगिताओं का विवरण दिया है—

(1) सफलता की भविष्यवाणी (Predicting success ) –

संकलनात्मक मूल्यांकन आगामी सम्बन्धित कोर्स में विद्यार्थियों की सफलता की भविष्यवाणी करता है । यह मूल्यांकन उन्हें शैक्षिक एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन करने का आधार प्रस्तुत करता है । इसके द्वारा विद्यार्थियों के मन में कुछ नया करने का उत्साह बना रहता है।

(2) अनुदेशन की शुरुआत (Beginning of instruction) –

इस मूल्यांकन द्वारा विद्यार्थियों की उपलब्धि स्तर का ज्ञान प्रदान करता है। यह विद्यार्थी को आगामी कोर्स एवं उसके प्रारम्भ करने में सहायक होता है ।

(3) ग्रेड देने का आधार (Basis of assigning grades ) –

संकलनात्मक मूल्यांकन ग्रेड देने का आधार प्रदान करता है। ग्रेड अंकों के रूप में भी प्रदर्शित किए जा सकते हैं और अक्षरों में भी । ग्रेडिंग से विद्यार्थियों के वर्गीकरण में सहायता मिलती है।

(4) प्रगति का ज्ञान (Knowledge of progress ) –

संकलनात्मक मूल्यांकन निर्माणात्मक मूल्यांकन के समान विद्यार्थियों को प्रगति का ज्ञान प्रदान करता है। इसके द्वारा उन्हें अपनी कमियों को जानने तथा उन्हें दूर करने में मदद करती है। इस प्रकार यह विद्यार्थियों के लिए उपयोगी पृष्ठपोषण का काम करता है।

Free Subject Wise Mock Test Click here
Join Telegram Channel for latest Job update  Click here

 

Check Also

Rajasthan Lab Assistant (Home Science) Syllabus and Exam Pattern

Contents1 Rajasthan Lab Assistant (Home Science) Syllabus and Exam Pattern1.1 Rajasthan Lab Assistant (Home Science) …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!