इतिहास के क्षेत्र – itihas ke kshetra

इतिहास के क्षेत्र – itihas ke kshetra

इतिहास का क्षेत्र – itihas ke kshetra: डॉ. के सिंह ने अपनी पुस्तक ‘History Teaching’ में इतिहास के क्षेत्र का उल्लेख इस प्रकार किया है—इतिहास का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है। जो मानव के इस पृथ्वी पर जन्म से लेकर वर्तमान तक, काल एवं परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनशील है और सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु निरन्तर अग्रसर होता जा रहा है।

इतिहास के क्षेत्र (itihas ke kshetra)

इतिहास का प्रमुख लक्ष्य प्राचीन काल से आज तक की समस्त घटनाओं का क्रमबद्ध एवं यथार्थ चित्रण करना है। अतः समाज से सम्बन्धित ऐतिहासिक दशा, वातावरण, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक, संवैधानिक, कानून, न्याय, सुरक्षा आदि घटनाओं का विवरण इतिहास में मिलता है। इतिहास के क्षेत्र की व्यापकता को देखते हुए इसके उचित विवरण का प्रस्तुतिकरण अत्यन्त कठिन कार्य है।
इतिहास का क्षेत्र न केवल प्राचीन, मध्ययुगीन एवं आधुनिक काल में वर्गीकृत है वरन् अन्य शाखाओं पर अनुसंधानों से प्राप्त विशिष्ट ज्ञान में वर्गीकृत है। जिसको निम्न प्रकार विभक्त किया गया है

(1) प्राचीन इतिहास (Ancient History)—

यह सबसे प्राचीन इतिहास है क्योंकि इसमें मानव की प्राचीन घटनाओं का वर्णन मिलता है। मानव तथा मानवीय सभ्यताओं के क्रमिक विकास की घटनाओं का वर्णन इसमें मिलता है। ‘Dictionary of Education’ में लिखा है, “प्राचीन इतिहास प्रथम लिखित अभिलेखों के समय से रोमन साम्राज्य के पतन तक को व्यक्त करने वाली अवधि के रूप में सामान्य रूप से विचारित घटनाओं का क्रमबद्ध संग्रह है।

(2) मध्यकालीन इतिहास (Medieval History)—

यह इतिहास का एक भाग है। इसमें मध्यकाल में घटित समस्त घटनाओं का विवरण मिलता है। मानव से सम्बन्धित मध्यकाल के समस्त क्रिया-कलापों का विवरण इस इतिहास में क्रमिक रूप से मिलता है। शिक्षा शब्दकोश में मध्यकालीन इतिहास के सन्दर्भ में लिखा है, “मध्यकालीन इतिहास सामान्य इतिहास का वह भाग है जो प्राचीन व आधुनिक इतिहास के मध्य में आता है। रोमन साम्राज्य के पतन और 15वीं शताब्दी इसकी उपयुक्त सीमाएँ हैं। ”

(3) आधुनिक इतिहास (Modern History )—

आधुनिक इतिहास प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास के बाद का इतिहास है। इसमें आधुनिक घटनाओं, तथ्यों एवं विवरणों का उल्लेख मिलता है। आधुनिक इतिहास के सन्दर्भ में शिक्षा शब्दकोश में लिखा गया है, “आधुनिक इतिहास वर्तमान शताब्दियों का इतिहास है। सामान्यतया पुनर्जागरण काल के आरम्भ से वर्तमान तक का विस्तृत विवरण माना जाता है।”

अत: यह कहा जा सकता है कि आधुनिक इतिहास में वर्तमान सदी के समस्त महत्त्वपूर्ण घटना क्रम का उल्लेख किया जाता है।

(4) आर्थिक इतिहास (Economic History )—

आर्थिक इतिहास में आर्थिक घटनाक्रमों का अध्ययन किया जाता है। यह इतिहास की एक प्राचीन शाखा है। मानव समाज के अभ्युदय के साथ ही आर्थिक इतिहास का विकास हुआ है। समाज में आजीविका चलाने से सम्बन्धित ज्ञान इसके माध्यम से हमें प्राप्त होते हैं। जैसा कि शिक्षा शब्दकोश में लिखा है, ‘आर्थिक इतिहास अभिलेखों का इतिहास है जिससे मनुष्य ने आजीविका प्राप्त की।” विभिन्न औद्योगिक क्रान्तियों के बाद आर्थिक इतिहास का महत्त्व बढ़ गया, विशेषकर इंग्लैण्ड की औद्योगिक क्रान्ति के बाद। एच. आर. टोनी (H.R. Toni) एवं एलीन पावर (Aleen Power) ने आर्थिक इतिहास की रचना सर्वप्रथम की। इसे महत्त्वपूर्ण बनाने में कोदोर्से, कोम्टे,
बर्कले तथा कार्ल मार्क्स का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा है। भारत में हिरेन मुखर्जी, रजनी पामत्त, कोसाम्बी एवं मोहम्मद हबीब ने आर्थिक इतिहास को एक नई दिशा दी।

( 5 ) सामाजिक इतिहास (Social History)–

इतिहास की समस्त शाखाएँ अपना- अपना विशिष्ट महत्त्व रखती हैं। सामाजिक इतिहास भी इसमें पीछे नहीं है। इसके अन्तर्गत समाज (मानव) के विभिन्न समूहों, उनका वितरण, उनकी सामाजिक क्रियाओं, सांस्कृतिक क्रियाओं आदि का अध्ययन किया जाता है। सामाजिक इतिहास को लोकप्रिय बनाने का श्रेय ट्रेवेलियन को है। 20वीं सदी के प्रारम्भ में इतिहासकारों का ध्यान सामाजिक इतिहास पर केन्द्रित हुआ। सामाजिक इतिहास में मानव समाज के समस्त कार्यों (पूर्व में किये हुए) का लेखा-जोखा होता है। जो मानव को भावी भविष्य हेतु दिशा-निर्देशक के रूप में कार्य करता है।

(6) धार्मिक इतिहास (Religious History )—

संसार में विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं और इन धर्मों का अध्ययन जिस इतिहास के अन्तर्गत किया जाता है वही धार्मिक इतिहास है। धार्मिक भावना से प्रेरित होकर अनेक इतिहासकारों ने बौद्ध, जैन, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि धर्मों का इतिहास लिखा। यूरोप में पुनर्जागरण काल तथा धर्म सुधार काल को धार्मिक इतिहास लेखन की दृष्टि से स्वर्णकाल कहा जाता है। धार्मिक इतिहास में विभिन्न धर्मों के सकारात्मक- नकारात्मक समस्त कार्यों का उल्लेख मिलता है जो भावी जीवन हेतु बहुत उपयोगी सिद्ध होता है।

( 7 ) सांस्कृतिक इतिहास (Cultural History)—

सांस्कृतिक इतिहास भी इतिहास का एक पार्ट है। अधिकांश इतिहासकारों ने वैदिककालीन, मौर्यकालीन, गुप्तकालीन, हर्षकालीन, मुगलकालीन आदि सांस्कृतिक विकास का अध्ययन किया और तद्नुसार सांस्कृतिक इतिहास का सृजन किया। सांस्कृतिक इतिहास के अन्तर्गत किसी समाज अथवा देश की शिक्षा, साहित्य, वास्तुकला, चित्रकला, संगीत, रीति-रिवाज और आमोद-प्रमोद के साधनों का विवरण रहता है ।

(8) राजनैतिक इतिहास (Political History)—

यह इतिहास की बहुत ही महत्त्वपूर्ण शाखा है। मानव के सामाजिक जीवन में राजनैतिक इतिहास का अधिक महत्त्व है। प्रारम्भिक इतिहासकारों ने मानव की सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप राजनीतिक इतिहास को ही महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी समझकर इतिहास लेखन किया। थ्यूसीडायडीज, गिबन तथा मैकाले आदि की रचनाओं का आधार राजनैतिक इतिहास ही था ।

(9) संवैधानिक इतिहास (Constitutional History) —

इतिहास के क्षेत्र के अन्तर्गत डॉ. के. सिंह ने संवैधानिक इतिहास के अध्ययन को भी सम्मिलित किया है। वे कहते हैं, “इसके अध्ययन का केन्द्र-बिन्दु संस्थाओं का इतिहास है। हैलम, कार्निवाल, लेविस तथा मेटलैण्ड ने संवैधानिक इतिहास लिखकर इतिहास के क्षेत्र को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। मनुस्मृति, हम्मुराबी का कोड, ज़ास्टिनियन कोड, कोड ऑफ नेपोलियन, मैकाले का इण्डियन पैनल कोड, ब्लेक स्टोन कृत कॉमेन्ट्रीज लॉ ऑफ इंग्लैण्ड इस क्षेत्र की महान उपलब्धियाँ हैं।

(10) विश्व इतिहास (World History ) –

विश्व इतिहास सम्पूर्ण विश्व के घटना क्रम के अध्ययन का एक महत्त्वपूर्ण इतिहास है। यह सम्पूर्ण मानव इतिहास और राष्ट्रों की अन्योन्याश्रितता का ज्ञान कराता है। जैसाकि शिक्षा शब्दकोश में लिखा है, “विश्व इतिहास प्रारम्भिक अवस्थाओं से वर्तमान तक की सभ्यताओं के विकास का क्रमिक गतिशील लेखा-जोखा है।”

सर्वप्रथम विश्व इतिहास लिखने का श्रेय सरवाल्टर रेले को है। इस दिशा में वाल्स (Walsh) ने इतिहास की रूपरेखा और टायन्बी (Tayanbi) के इतिहास अध्ययन (The Study of History – 12 Vol.) का योगदान भी विशेष महत्त्व रखता है। आज किसी राष्ट्र विशेष की समस्या विश्व समस्या के रूप में मानी जाती है और उसका अध्ययन विश्व इतिहास का विषय होता है।

 

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