Contents
- 1 India History Test – 4
- 1.1 India History Test - 4
- 1.1.1 India History Mock Test All Set :- Click here
- 1.1.1.0.1 1. Question
- 1.1.1.0.2 2. Question
- 1.1.1.0.3 3. Question
- 1.1.1.0.4 4. Question
- 1.1.1.0.5 5. Question
- 1.1.1.0.6 6. Question
- 1.1.1.0.7 7. Question
- 1.1.1.0.8 8. Question
- 1.1.1.0.9 9. Question
- 1.1.1.0.10 10. Question
- 1.1.1.0.11 11. Question
- 1.1.1.0.12 12. Question
- 1.1.1.0.13 13. Question
- 1.1.1.0.14 14. Question
- 1.1.1.0.15 15. Question
- 1.1.1.0.16 16. Question
- 1.1.1.0.17 17. Question
- 1.1.1.0.18 18. Question
- 1.1.1.0.19 19. Question
- 1.1.1.0.20 20. Question
- 1.1 India History Test - 4
India History Test – 4
नमस्कार दोस्तों ! इस पोस्ट में आपको India History (भारत इतिहास) के मोक टेस्ट / mock test, ऑनलाइन टेस्ट / online test, प्रेक्टिस सेट / practise set, महत्वपूर्ण प्रश्न / important questions, mcq, quiz उपलब्ध करवाने वाले है।
India History Test - 4
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Questions:
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- 4
- 5
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- 8
- 9
- 10
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- 12
- 13
- 14
- 15
- 16
- 17
- 18
- 19
- 20
Information
1. Total Questions – 20
2. Total Marks – 20
4. एक टेस्ट को आप एक से ज्यादा बार भी दे सकते है।
5. यदि किसी प्रश्न में गलती हो तो आप हमे comment section में अवश्य बताये ताकि उस गलती को हम सुधार सके।
6. टेस्ट की भाषा (Language) बदलने का option नीचे दिया गया है।
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India History Mock Test All Set :- Click here
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- 20
- Answered
- Review
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Question 1 of 20
1. Question
1 points1.छठी शताब्दी की शुरुआत में भारत की यात्रा पर आने वाले चीनी तीर्थयात्री 271
Correct
चीनी यात्री सुंग युन 517 ईसा में भारत आए। इससे पूर्व चीनी यात्री फाह्यान ने चांगमान से 399 ईस्वी में अपनी यात्रा शुरू की । वे बुद्ध के उपदेशों के प्रामाणिक ग्रंथों की तलाश में भारत आए। सुंग युन का अपने देश और उसके शासक के बारे में एक उदात्त दृष्टिकोण थे।
Incorrect
चीनी यात्री सुंग युन 517 ईसा में भारत आए। इससे पूर्व चीनी यात्री फाह्यान ने चांगमान से 399 ईस्वी में अपनी यात्रा शुरू की । वे बुद्ध के उपदेशों के प्रामाणिक ग्रंथों की तलाश में भारत आए। सुंग युन का अपने देश और उसके शासक के बारे में एक उदात्त दृष्टिकोण थे।
Unattempted
चीनी यात्री सुंग युन 517 ईसा में भारत आए। इससे पूर्व चीनी यात्री फाह्यान ने चांगमान से 399 ईस्वी में अपनी यात्रा शुरू की । वे बुद्ध के उपदेशों के प्रामाणिक ग्रंथों की तलाश में भारत आए। सुंग युन का अपने देश और उसके शासक के बारे में एक उदात्त दृष्टिकोण थे।
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Question 2 of 20
2. Question
1 points2.ऐलोरा में कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण निम्नलिखित में से किनके द्वारा करवाया गया था ?
Correct
एलोरा के कैलाश मन्दिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम ने करवाया था। एलोरा में बौद्ध, ब्राह्मण एवं जैन धर्म से सम्बंधित मूर्तियां एवं चित्र बने हैं।
Incorrect
एलोरा के कैलाश मन्दिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम ने करवाया था। एलोरा में बौद्ध, ब्राह्मण एवं जैन धर्म से सम्बंधित मूर्तियां एवं चित्र बने हैं।
Unattempted
एलोरा के कैलाश मन्दिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम ने करवाया था। एलोरा में बौद्ध, ब्राह्मण एवं जैन धर्म से सम्बंधित मूर्तियां एवं चित्र बने हैं।
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Question 3 of 20
3. Question
1 points3.महाबलीपुरम के सात पैगोडा किसके द्वारा संरक्षित कला के साक्षी हैं?
Correct
पल्लव शासक नरसिंहवर्मन प्रथम के काल में 'मामल्ल शैली' का विकास हुआ। इसके अन्तर्गत दो प्रकार के स्मारक बने मध्य तथा एकाश्म मन्दिर जिन्हें रथ कहा गया है। इस शैली में निर्मित सभी स्मारक मामल्लपुरम (महाबलीपुरम) में विद्यमान हैं। रथ अथवा एकाश्म मन्दिर कठोर चट्टानों को काटकर बनाया गया है। प्रमुख रथ हैं- नकुल सहदेव रथ, अर्जुन रथ, भीम रथ, धर्मराज रथ, प्रवेश रथ, द्रौपदी रथ । द्रौपदी रथ सबसे छोटा है। इन रथों को सप्तपैगोडा कहा जाता है।
Incorrect
पल्लव शासक नरसिंहवर्मन प्रथम के काल में 'मामल्ल शैली' का विकास हुआ। इसके अन्तर्गत दो प्रकार के स्मारक बने मध्य तथा एकाश्म मन्दिर जिन्हें रथ कहा गया है। इस शैली में निर्मित सभी स्मारक मामल्लपुरम (महाबलीपुरम) में विद्यमान हैं। रथ अथवा एकाश्म मन्दिर कठोर चट्टानों को काटकर बनाया गया है। प्रमुख रथ हैं- नकुल सहदेव रथ, अर्जुन रथ, भीम रथ, धर्मराज रथ, प्रवेश रथ, द्रौपदी रथ । द्रौपदी रथ सबसे छोटा है। इन रथों को सप्तपैगोडा कहा जाता है।
Unattempted
पल्लव शासक नरसिंहवर्मन प्रथम के काल में 'मामल्ल शैली' का विकास हुआ। इसके अन्तर्गत दो प्रकार के स्मारक बने मध्य तथा एकाश्म मन्दिर जिन्हें रथ कहा गया है। इस शैली में निर्मित सभी स्मारक मामल्लपुरम (महाबलीपुरम) में विद्यमान हैं। रथ अथवा एकाश्म मन्दिर कठोर चट्टानों को काटकर बनाया गया है। प्रमुख रथ हैं- नकुल सहदेव रथ, अर्जुन रथ, भीम रथ, धर्मराज रथ, प्रवेश रथ, द्रौपदी रथ । द्रौपदी रथ सबसे छोटा है। इन रथों को सप्तपैगोडा कहा जाता है।
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Question 4 of 20
4. Question
1 points4.महाबलिपुरम् में समुद्रतट पर मंदिर किसने बनाया था?
Correct
Incorrect
Unattempted
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Question 5 of 20
5. Question
1 points5.चोलों के समय का 'बृहदेश्वर मंदिर' कहाँ स्थित है?
Correct
तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित बृहदेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित एक हिन्दू मन्दिर है। इसे राजा राजेश्वर मन्दिर के रूप में भी जाना जाता है। इसका निर्माण चोल शासक राजाराज चोल प्रथम द्वारा कराया गया था। यह मन्दिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का एक भाग है जिसे “ग्रेट लिविंग चोल टेम्पल्स” के रूप में जाना जाता है।
Incorrect
तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित बृहदेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित एक हिन्दू मन्दिर है। इसे राजा राजेश्वर मन्दिर के रूप में भी जाना जाता है। इसका निर्माण चोल शासक राजाराज चोल प्रथम द्वारा कराया गया था। यह मन्दिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का एक भाग है जिसे “ग्रेट लिविंग चोल टेम्पल्स” के रूप में जाना जाता है।
Unattempted
तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित बृहदेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित एक हिन्दू मन्दिर है। इसे राजा राजेश्वर मन्दिर के रूप में भी जाना जाता है। इसका निर्माण चोल शासक राजाराज चोल प्रथम द्वारा कराया गया था। यह मन्दिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का एक भाग है जिसे “ग्रेट लिविंग चोल टेम्पल्स” के रूप में जाना जाता है।
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Question 6 of 20
6. Question
1 points6.महाबलीपुरम स्थित एकाश्मीय शैल मन्दिरों का प्रसिद्ध नाम क्या है
Correct
तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के महाबलिपुरम में एकाश्म चट्टान पर विद्यमान मंदिरों को रथ के रूप में भी जाना जाता है। समूह में विद्यमान पाँच स्मारकों में से प्रत्येक स्मारक एक रथ के समान प्रतीत होता है और प्रत्येक स्मारक को ग्रेनाइट के एकाश्मक या एक एकल लंबे पत्थर पर उत्कीर्ण किया गया है जिसकी ढालें उत्तर दक्षिण दिशा में थोड़ी झुकी हुई हैं। 7वीं शताब्दी के अंत में निर्मित, इन मंदिरों के निर्माण का श्रेय पल्लव वंश के शासक महेन्द्रवर्मन । और उनके पुत्र नरसिम्हवर्मन को दिया जाता है। रथ मंदिरों को सप्त पगोड़ा भी कहा जाता है।
Incorrect
तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के महाबलिपुरम में एकाश्म चट्टान पर विद्यमान मंदिरों को रथ के रूप में भी जाना जाता है। समूह में विद्यमान पाँच स्मारकों में से प्रत्येक स्मारक एक रथ के समान प्रतीत होता है और प्रत्येक स्मारक को ग्रेनाइट के एकाश्मक या एक एकल लंबे पत्थर पर उत्कीर्ण किया गया है जिसकी ढालें उत्तर दक्षिण दिशा में थोड़ी झुकी हुई हैं। 7वीं शताब्दी के अंत में निर्मित, इन मंदिरों के निर्माण का श्रेय पल्लव वंश के शासक महेन्द्रवर्मन । और उनके पुत्र नरसिम्हवर्मन को दिया जाता है। रथ मंदिरों को सप्त पगोड़ा भी कहा जाता है।
Unattempted
तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के महाबलिपुरम में एकाश्म चट्टान पर विद्यमान मंदिरों को रथ के रूप में भी जाना जाता है। समूह में विद्यमान पाँच स्मारकों में से प्रत्येक स्मारक एक रथ के समान प्रतीत होता है और प्रत्येक स्मारक को ग्रेनाइट के एकाश्मक या एक एकल लंबे पत्थर पर उत्कीर्ण किया गया है जिसकी ढालें उत्तर दक्षिण दिशा में थोड़ी झुकी हुई हैं। 7वीं शताब्दी के अंत में निर्मित, इन मंदिरों के निर्माण का श्रेय पल्लव वंश के शासक महेन्द्रवर्मन । और उनके पुत्र नरसिम्हवर्मन को दिया जाता है। रथ मंदिरों को सप्त पगोड़ा भी कहा जाता है।
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Question 7 of 20
7. Question
1 points7.निम्नलिखित में से किस चोल राजा ने 'गंगईकोंडन' की पदवी धारण की थी?
Correct
चोल शासक राजेन्द्र-। ने गंग, चालुक्य, चेर, पाल, पाण्ड्य, कलिंग और अन्य शासकों को पराजित करने के बाद 'गंगैकोण्ड चोल' की उपाधि धारण की थी। इसके अतिरिक्त, उसने गंगैकोण्ड चोलपुरम के रूप में नई राजधानी की स्थापना की, जहाँ उसने एक शिव मन्दिर का निर्माण कराया, जो कि उसके पिता राजाराजा चोल द्वारा बनवाए गए बृहदेश्वर मन्दिर के सदृश है ।
Incorrect
चोल शासक राजेन्द्र । ने गंग, चालुक्य, चेर, पाल, पाण्ड्य, कलिंग और अन्य शासकों को पराजित करने के बाद 'गंगैकोण्ड चोल' की उपाधि धारण की थी। इसके अतिरिक्त, उसने गंगैकोण्ड चोलपुरम के रूप में नई राजधानी की स्थापना की, जहाँ उसने एक शिव मन्दिर का निर्माण कराया, जो कि उसके पिता राजाराजा चोल द्वारा बनवाए गए बृहदेश्वर मन्दिर के सदृश है ।
Unattempted
चोल शासक राजेन्द्र । ने गंग, चालुक्य, चेर, पाल, पाण्ड्य, कलिंग और अन्य शासकों को पराजित करने के बाद 'गंगैकोण्ड चोल' की उपाधि धारण की थी। इसके अतिरिक्त, उसने गंगैकोण्ड चोलपुरम के रूप में नई राजधानी की स्थापना की, जहाँ उसने एक शिव मन्दिर का निर्माण कराया, जो कि उसके पिता राजाराजा चोल द्वारा बनवाए गए बृहदेश्वर मन्दिर के सदृश है ।
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Question 8 of 20
8. Question
1 points8.पल्लवों की राजधानी कहाँ थी?
Correct
Incorrect
Unattempted
-
Question 9 of 20
9. Question
1 points9.प्राचीन काल में स्रोत सामग्री लिखने के लिए प्रयुक्त भाषा थी:
Correct
Incorrect
Unattempted
-
Question 10 of 20
10. Question
1 points10.मानव द्वारा प्रयुक्त पहली धातु थी:
Correct
मानव द्वारा प्रयुक्त पहली धातु तांबा (कॉपर) थी। वे तांबे के औजार, हथियार और कंगन बनाते थे। कायथा के एक घर में तांबे के 29 कंगन और दो अद्वितीय ढंग की कुल्हाड़ियाँ पाई गई हैं।
Incorrect
मानव द्वारा प्रयुक्त पहली धातु तांबा (कॉपर) थी। वे तांबे के औजार, हथियार और कंगन बनाते थे। कायथा के एक घर में तांबे के 29 कंगन और दो अद्वितीय ढंग की कुल्हाड़ियाँ पाई गई हैं।
Unattempted
मानव द्वारा प्रयुक्त पहली धातु तांबा (कॉपर) थी। वे तांबे के औजार, हथियार और कंगन बनाते थे। कायथा के एक घर में तांबे के 29 कंगन और दो अद्वितीय ढंग की कुल्हाड़ियाँ पाई गई हैं।
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Question 11 of 20
11. Question
1 points11.महापाषाण संस्कृति (500 ई० पू० – 100 ई०) हमें दक्षिण भारत के उस ऐतिहासिक युग से परिचित कराती है, जब महापाषाण काल में उपयोग में लाये जाते थे:
Correct
भारतीय प्रायद्वीप के उच्च भागों में रहने वाले लोग महापाषाण निर्माता कहलाते हैं उनकी जानकारी उनकी कब्रों से हुई है जो महापाषाण कहलाती हैं। इन कब्रों को महापाषाण इसलिए कहते हैं कि इन्हें बड़े-बड़े पत्थरों के टुकड़ों से घेर दिया जाता था। इन कब्रों में दफनाए गए लोगों के न केवल अस्थिपंजर ही बल्कि मृदभांड़ और लोहे की वस्तुएँ भी मिली हैं।
Incorrect
भारतीय प्रायद्वीप के उच्च भागों में रहने वाले लोग महापाषाण निर्माता कहलाते हैं उनकी जानकारी उनकी कब्रों से हुई है जो महापाषाण कहलाती हैं। इन कब्रों को महापाषाण इसलिए कहते हैं कि इन्हें बड़े-बड़े पत्थरों के टुकड़ों से घेर दिया जाता था। इन कब्रों में दफनाए गए लोगों के न केवल अस्थिपंजर ही बल्कि मृदभांड़ और लोहे की वस्तुएँ भी मिली हैं।
Unattempted
भारतीय प्रायद्वीप के उच्च भागों में रहने वाले लोग महापाषाण निर्माता कहलाते हैं उनकी जानकारी उनकी कब्रों से हुई है जो महापाषाण कहलाती हैं। इन कब्रों को महापाषाण इसलिए कहते हैं कि इन्हें बड़े-बड़े पत्थरों के टुकड़ों से घेर दिया जाता था। इन कब्रों में दफनाए गए लोगों के न केवल अस्थिपंजर ही बल्कि मृदभांड़ और लोहे की वस्तुएँ भी मिली हैं।
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Question 12 of 20
12. Question
1 points12.धातु से बने सिक्के सबसे पहले प्रकट हुए थे:
Correct
धातु से बने निष्क और शतमान शब्द मुद्रा के रूप में माने जाते हैं | लेकिन प्रतीत होता है कि वे धातु के बने अलंकरण रहे होंगे। निष्क और शतमान का उल्लेख वैदिक ग्रन्थों में हुआ है। धातु के सिक्के सबसे पहले गौतम बुद्ध के युग में मिलते हैं।
Incorrect
धातु से बने निष्क और शतमान शब्द मुद्रा के रूप में माने जाते हैं | लेकिन प्रतीत होता है कि वे धातु के बने अलंकरण रहे होंगे। निष्क और शतमान का उल्लेख वैदिक ग्रन्थों में हुआ है। धातु के सिक्के सबसे पहले गौतम बुद्ध के युग में मिलते हैं।
Unattempted
धातु से बने निष्क और शतमान शब्द मुद्रा के रूप में माने जाते हैं | लेकिन प्रतीत होता है कि वे धातु के बने अलंकरण रहे होंगे। निष्क और शतमान का उल्लेख वैदिक ग्रन्थों में हुआ है। धातु के सिक्के सबसे पहले गौतम बुद्ध के युग में मिलते हैं।
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Question 13 of 20
13. Question
1 points13.हड़प्पा की सभ्यता के बारे में कौन-सी उक्ति सही है ?
Correct
उत्खनन से प्राप्त मुहरों पर तीन सिर एवं दो सींग वाले देवता जो एक बाघ, एक हाथी तथा गैंडे से घिरे हुए हैं, जिनके सिंहासन के नीचे एक भैंस तथा पैरों के नीचे दो हिरण हैं। इस बात के परिचायक हैं कि उनकी उपासना पशुपति महादेव के रूप में की जाती थी। अतः इस काल के लोगों ने 'पशुपति' का सम्मान करना आरंभ किया था। हड़प्पाई लोगों को ‘अश्व' अर्थात् घोड़े की जानकारी नहीं थी।
Incorrect
उत्खनन से प्राप्त मुहरों पर तीन सिर एवं दो सींग वाले देवता जो एक बाघ, एक हाथी तथा गैंडे से घिरे हुए हैं, जिनके सिंहासन के नीचे एक भैंस तथा पैरों के नीचे दो हिरण हैं। इस बात के परिचायक हैं कि उनकी उपासना पशुपति महादेव के रूप में की जाती थी। अतः इस काल के लोगों ने 'पशुपति' का सम्मान करना आरंभ किया था। हड़प्पाई लोगों को ‘अश्व' अर्थात् घोड़े की जानकारी नहीं थी।
Unattempted
उत्खनन से प्राप्त मुहरों पर तीन सिर एवं दो सींग वाले देवता जो एक बाघ, एक हाथी तथा गैंडे से घिरे हुए हैं, जिनके सिंहासन के नीचे एक भैंस तथा पैरों के नीचे दो हिरण हैं। इस बात के परिचायक हैं कि उनकी उपासना पशुपति महादेव के रूप में की जाती थी। अतः इस काल के लोगों ने 'पशुपति' का सम्मान करना आरंभ किया था। हड़प्पाई लोगों को ‘अश्व' अर्थात् घोड़े की जानकारी नहीं थी।
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Question 14 of 20
14. Question
1 points14.हड़प्पा के लोगों की सामाजिक पद्धति _____थी ।
Correct
हड़प्पा संस्कृति का समाज मुख्यतः चार वर्गों में विभाजित था शासक, धनी या कुलीन वर्ग, मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग। हड़प्पा की सभ्यता मूलतः समतामूलक सभ्यता थी। कुछ आर्थिक विषमता के बावजूद वर्ग-संघर्ष के विषय में जानकारी नहीं मिलती। अतः हड़प्पा के लोगों की सामाजिक पद्धति उचित समतावादी थी।
Incorrect
हड़प्पा संस्कृति का समाज मुख्यतः चार वर्गों में विभाजित था शासक, धनी या कुलीन वर्ग, मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग। हड़प्पा की सभ्यता मूलतः समतामूलक सभ्यता थी। कुछ आर्थिक विषमता के बावजूद वर्ग-संघर्ष के विषय में जानकारी नहीं मिलती। अतः हड़प्पा के लोगों की सामाजिक पद्धति उचित समतावादी थी।
Unattempted
हड़प्पा संस्कृति का समाज मुख्यतः चार वर्गों में विभाजित था शासक, धनी या कुलीन वर्ग, मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग। हड़प्पा की सभ्यता मूलतः समतामूलक सभ्यता थी। कुछ आर्थिक विषमता के बावजूद वर्ग-संघर्ष के विषय में जानकारी नहीं मिलती। अतः हड़प्पा के लोगों की सामाजिक पद्धति उचित समतावादी थी।
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Question 15 of 20
15. Question
1 points15.सिंधु घाटी की खुदाई में मिले अवशेषों में तत्कालीन व्यापारिक और आर्थिक विकास के द्योतक निम्न में से कौन से हैं ?
Correct
सिंघु-सभ्यता का आर्थिक जीवन कृषि, पशुपालन, विभिन्न प्रकार के उद्योग-धंधों तथा व्यापार-वाणिज्य पर आश्रित था। सिंधु सभ्यता का व्यापार वस्तु विनिमय पर आधारित था, क्योंकि उत्खननों से धातु के मुद्रा का प्रचलन का प्रमाण नहीं मिलता है। परंतु व्यापारियों की मुहरें होती थीं जिनका प्रयोग हुंडी के रूप में होता होगा। इससे व्यापारियों के एक सुगठित वर्ग की सहज कल्पना की जा सकती है। इसकी पुष्टि सिंधु-सभ्यता के बड़े-भूभाग में ढेर सारी मिट्टी की मुहरों, एकरूप लिपि और मानकीकृत माप-तौलों के अस्तित्व से भी होती है।
Incorrect
सिंघु-सभ्यता का आर्थिक जीवन कृषि, पशुपालन, विभिन्न प्रकार के उद्योग-धंधों तथा व्यापार-वाणिज्य पर आश्रित था। सिंधु सभ्यता का व्यापार वस्तु विनिमय पर आधारित था, क्योंकि उत्खननों से धातु के मुद्रा का प्रचलन का प्रमाण नहीं मिलता है। परंतु व्यापारियों की मुहरें होती थीं जिनका प्रयोग हुंडी के रूप में होता होगा। इससे व्यापारियों के एक सुगठित वर्ग की सहज कल्पना की जा सकती है। इसकी पुष्टि सिंधु-सभ्यता के बड़े-भूभाग में ढेर सारी मिट्टी की मुहरों, एकरूप लिपि और मानकीकृत माप-तौलों के अस्तित्व से भी होती है।
Unattempted
सिंघु-सभ्यता का आर्थिक जीवन कृषि, पशुपालन, विभिन्न प्रकार के उद्योग-धंधों तथा व्यापार-वाणिज्य पर आश्रित था। सिंधु सभ्यता का व्यापार वस्तु विनिमय पर आधारित था, क्योंकि उत्खननों से धातु के मुद्रा का प्रचलन का प्रमाण नहीं मिलता है। परंतु व्यापारियों की मुहरें होती थीं जिनका प्रयोग हुंडी के रूप में होता होगा। इससे व्यापारियों के एक सुगठित वर्ग की सहज कल्पना की जा सकती है। इसकी पुष्टि सिंधु-सभ्यता के बड़े-भूभाग में ढेर सारी मिट्टी की मुहरों, एकरूप लिपि और मानकीकृत माप-तौलों के अस्तित्व से भी होती है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 points16.भारत में खोजा गया सबसे पहला पुराना शहर था
Correct
प्राचीन भारत में खोजा गया पहला शहर हड़प्पा था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक जॉन मार्शल के निर्देश पर सन् 1921-22 में दयाराम साहनी ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में तत्कालीन माण्टगोमरी (शाहीवाल) जिले में स्थित हड़प्पा के टीले का अन्वेषण किया जो रावी नदी के तट पर स्थित था।
Incorrect
प्राचीन भारत में खोजा गया पहला शहर हड़प्पा था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक जॉन मार्शल के निर्देश पर सन् 1921-22 में दयाराम साहनी ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में तत्कालीन माण्टगोमरी (शाहीवाल) जिले में स्थित हड़प्पा के टीले का अन्वेषण किया जो रावी नदी के तट पर स्थित था।
Unattempted
प्राचीन भारत में खोजा गया पहला शहर हड़प्पा था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक जॉन मार्शल के निर्देश पर सन् 1921-22 में दयाराम साहनी ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में तत्कालीन माण्टगोमरी (शाहीवाल) जिले में स्थित हड़प्पा के टीले का अन्वेषण किया जो रावी नदी के तट पर स्थित था।
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Question 17 of 20
17. Question
1 points17.हड़प्पा स्थलों की खुदाई में निम्नलिखित में से क्या नहीं मिला है ?
Correct
Incorrect
Unattempted
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Question 18 of 20
18. Question
1 points18.हड़प्पा सभ्यता की खोज किस वर्ष में हुई थी ?
Correct
हड़प्पा सभ्यता की खोज डी-आर साहनी द्वारा 1921 में हुई थी। मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में हुई थी।
Incorrect
हड़प्पा सभ्यता की खोज डी-आर साहनी द्वारा 1921 में हुई थी। मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में हुई थी।
Unattempted
हड़प्पा सभ्यता की खोज डी-आर साहनी द्वारा 1921 में हुई थी। मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में हुई थी।
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Question 19 of 20
19. Question
1 points19.सिधु घाटी की प्राचीन संस्कृति और आज के हिदू धर्म के बीच जैव (ऑर्गेनिक) संबंध का प्रमाण किसकी पूजा से मिलता है ?
Correct
Incorrect
Unattempted
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Question 20 of 20
20. Question
1 points20.सिंधु सभ्यता के टेराकोटा की मूर्तियों में निम्नलिखित में से कौन सा पालतू जानवर विद्यमान नहीं था ?
Correct
Incorrect
Unattempted